Posts tagged “rain”

बरसात की वो पहली काली

मुरझाई  हुई पड़ी  है इक तजा गुलाब,

जैसे बरसात  की पहली  काली।

जो होठों पे कभी लाली खिला करती थी,

वो अब सफ़ेद  पड़ी  हुई  है।

जो आँखों की  गेहराईयों  के सामने,

फीके  पड़ते  थे  हज़ारो सागर की गहराई,

वो आँखें अब बंद पड़ी है,

उन आँखों मे बस छायी हुई  है एक बेजुबान दर्द ।

उमर कितनी  होगी उस  गुलाब की,

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बारिश

मौसम ए साजिश का है,
ये मौसम बारिश का है,
किसी को इंतज़ार रहता है,
बारिश में भीगने का,
एहसास,अच्छा होता है।
हवाओं में वो सुकून होता है,
ये मुहब्बत का सुरूर होता है।
दिल ये मगरूर होता है,
आशिकों का नूर होता है,
ख्वाबों का जुनून होता है।
जब मौसम बारिश का होता है.
मन में बहार होता है,
खेत में अनाज होता है,

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বর্ষার বার্তা (The message of the rain)

বসুধার কোণে কোণে প্রবল বিভীষিকা,
করাল শুষ্ক,শূন্যতায় ভরা মৃত্যুর হাতছানি।
উজ্জ্বল প্রকাশ দীপ্ত গরিমার অন্তরালে –
লুক্কায়িত ভয়াল কালিমা।
এত আলো তবুও,জীবন আজ মৃতপ্রায়।
মনের প্রান্তর ময় বিষাদের কালো মেঘ,
জমাট বেঁধেছে আজ,বর্ষার প্রতীক্ষায়।
অন্য এক আশার ক্ষীণ আলোক রেখায়,
প্রাণ জুড়ে জীবনের সবুজ স্পন্দন,
ছড়িয়ে পড়ছে মন ভূমি থেকে ,-
ধরিত্রীর অম্বরে।
শ্রাবণের মেদুর সমীরণে এক অচেনা আবর্তন,
জীবনের আশাময় বার্তায় মগ্ন আকাশ পাতাল।
কে জানে এই বর্ষা হয়তো বা ধুয়ে দেবে সমস্ত মৃত্যু,

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बूँदे
ये बूँदे जब मुझे भिगोती है मन मे नयी उमंग सजोती है अपने सब दुख दर्द भुल जाता हु मन मे ख़ुशि की बौछार होती है एक पल स्वर्ग पहुँच जाता हु ये बूँदे जब मुझे भिगोती है ।। ये बूँदे तन तो पावन कर जाती है मन भी पावन कर जाती है ईश्वर के समीप होने का मन मे एहसास कराती है दुनिया की सारी ख़ुशी दे जाती है ये बूँदे जब मुझे भिगोती है ।।
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आया सावन

नाचा मोर, पपीहा गाया,

सावन आया! सावन आया!

बारिश देखो साथ में लाया,

झूलों का भी मौसम का भी मौसम लाया।

सावन आया सावन आया!!

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मैं बादल बन जाऊँ
मैं बादल बन जाऊँ बन कर बारिश की बूँद धरती की प्यास बुझाऊँ सूखे खेतों को हरियाली से हरा भरा कर जाऊँ मैं बादल बन जाऊँ ।। नदी-तालाबों को छलों छल भर जाऊँ पशु- पक्षी को जीने की राह दिखाऊँ मैं बादल बन जाऊँ ।। वायुमंडल मे शीत हवा बहाऊँ मुरझाए चहरे पर मुसकान लाऊँ तपती धरती को ठंडक का एहसास दिलाऊँ मैं बादल बन जाऊँ ।।
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बरसात का मौसम

कभी बरसात के मौसम में
कभी पतझड़ के मौसम में
उसी की याद आती है
हर लम्हा के मौसम में

वो इस कदर मुरत है मोहब्बत की
छा जाती है फूलो में बंसत के मौसम सी

मुझे इंतजार था ग्रीष्म में
पानी बनके मिलने आओगी
वर्षा का है इंतजार
नवनिर्माण कराओगी

मुझे जीना है तेरे साथ
तु साथ दे देना
करेगे प्यार ऐसा
तु कल दे देना

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स्तब्ध है हृदय
स्तब्ध है हृदय.. कुछ शूल चुभ रहें हैं.. कुछ तो हुआ है.. ये प्रश्न उठ रहे हैं… हाँ श्वेत वस्त्रधारियों पे.. कुछ दाग दिख रहे हैं.. कुछ तो किया है जो प्रश्न उठ रहे हैं..                         (1) स्तब्ध है हृदय.. कुछ प्रलाप सुन रहे हैं.. चहुँओर आज लोग इक विलाप कर रहे हैं.. हाँ कुछ तो हुआ है.. ये प्रश्न उठ रहे हैं.. बेईमानी के बाज़ार में.. फ़िर ईमान बिक रहे हैं.. तो कुछ तो हुआ है जो ये प्रश्न उठ रहे हैं..                        
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अहसास

1.उमड़ते बादल

बरसती बूंदें

और चलती हवाएं

तेरे होने की खूशबू का

अहसास करा जाती है

2.यूं तो हजारों शिकायतें हैं तुझसे

पर तेरा पर भर मुस्कुरा कर देखना

सब दूर कर देता है

3.बारिश की बूंदों सा है

प्यार मेरा

धरती में समा जाने पर भी

अपनी सौंधी खुशबू छोड़ जायेगा

4.तेरे अहसास के

झूलों तले

चलती है

सांसे मेरी

कभी फुर्सत मिले तो

सुनना धड़कनों में नाम तेरा

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