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Selcouth feelings

It isn’t a cliche poem to start with,
But a concoction of feelings that demands to be revealed.
The seraphic smile that induces euphoria everytime
Gives a way to the land of copious colors, all divine.
The set of eyes that gets interlocked for a second,
Pours plethora of happiness into every vein.
Strange how everything finds their way out to you,
And even stranger when they rush towards you without any clue.

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चाय – हर हिंदुस्तनी का पहला प्यार

चाय – हर हिंदुस्तानी का पहला प्यार❤️
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थोड़ी सी कड़क, थोड़ी सी लाल
और जो ही मिलाया इसमें
चीनी स्वाद अनुसार
तो हो गई तैयार
हर हिन्दुस्तानी का पहला प्यार।
इसकी हर चुस्की में है चुस्ती
हर काम को जो बना दे मजेदार
यही है वो अचूक हथियार।
हर जगह जो मिल जाए आसानी से
कुछ ऐसा ही है ये सामान
बच्चे हो या बूढ़े सब पीते हैं इसको
नहीं है इसमें कोई नुकसान।
है मेहाननवाजी पर भी
इसका सर्वप्रथम अधिकार
इसके बिना अधूरा है हिंदुस्तान में
जस्न का हर स्थान।
कभी दोस्तों के मिलने का
बहाना बन जाता है ये
तो कभी बात को आगे बढ़ाने
का सहारा बन जाता है ये।
अब तो बन चुका है ये
हिंदुस्तान का ये स्वाभिमान
प्रधानमंत्री से लेकर हर हिंदुस्तानी की
है ये आनोखी पहचान। 🙏

 

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स्तब्ध है हृदय
स्तब्ध है हृदय.. कुछ शूल चुभ रहें हैं.. कुछ तो हुआ है.. ये प्रश्न उठ रहे हैं… हाँ श्वेत वस्त्रधारियों पे.. कुछ दाग दिख रहे हैं.. कुछ तो किया है जो प्रश्न उठ रहे हैं..                         (1) स्तब्ध है हृदय.. कुछ प्रलाप सुन रहे हैं.. चहुँओर आज लोग इक विलाप कर रहे हैं.. हाँ कुछ तो हुआ है.. ये प्रश्न उठ रहे हैं.. बेईमानी के बाज़ार में.. फ़िर ईमान बिक रहे हैं.. तो कुछ तो हुआ है जो ये प्रश्न उठ रहे हैं..                        
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मेरी अधूरी कहानी…❤️

मेरी अधूरी कहानी…❤️
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मुझे आज भी बख़ूबी याद है college का वो दिन जब मैंने पहली बार तुम्हें देखा था…
कोने में कैद, खुद में खोई हुई, भीड़ से अलग…
उस दिन मैंने तुम्हें नहीं ,तुम में ख़ुद को देखा था। शायद इसलिए उस दिन ही तुमसे प्यार हो गया था।

वैसे तो सुबह की नींद मुझे बहुत प्यारी थी, मगर उस दिन के बाद से अक्सर तुम्हारा चेहरा खयालों में मुझे जागने के लिए मजबूर कर देता था। शायद अब मैं बदल गया था,

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अपनों का एहसास महामारी में

✍🏻 अपनो का अहसास महामारी में✍🏻

मैं ऐसा बनावटी दुनिया में फंसा
आपनो को भूल दूसरो को चाहने लगा |

दूरी थी मां के कर निवाले से
दूरीया ही बन गई थी प्रथम आले से |

जिस जगह से उब गया था इस कदर
ना ही अपने प्रिय लगते मैं था दर-बदर |

घर मे पहले बोर होने लगाता था
मन अपनो को छोड़ परायेपन में खुश रहने लगाता था |

शहरी संस्कृति हावी हो गयी थी
अपनो की बाते कांटो सी हो गयी थी |

उनके पास बैठना भी बुरा लगता था
मेरा मन परायो को अपना बैठा था |

जब पापा की हर बात कांटो सी लगती थी
माँ का बुलाना बेहूदा हरकत लगती थी |

मै फोन की रहस्यमयी दुनिया में खोता गया
माँ –

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अहसास

1.उमड़ते बादल

बरसती बूंदें

और चलती हवाएं

तेरे होने की खूशबू का

अहसास करा जाती है

2.यूं तो हजारों शिकायतें हैं तुझसे

पर तेरा पर भर मुस्कुरा कर देखना

सब दूर कर देता है

3.बारिश की बूंदों सा है

प्यार मेरा

धरती में समा जाने पर भी

अपनी सौंधी खुशबू छोड़ जायेगा

4.तेरे अहसास के

झूलों तले

चलती है

सांसे मेरी

कभी फुर्सत मिले तो

सुनना धड़कनों में नाम तेरा

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