Posts tagged “covid19”

कोरोना का क़हर

ये कैसा दौर आ गया ?
इनसान को इनसान से भय हो गया |
जीबन की रफ़्तार थम सी गयी हे,
जीने की चाह जैसे कम सी हो गयी हे ||
एक वायरस ने जीबन मैं उथल पुथल मचा रखा हे
गृहबास, लोगों से दुरी ही बचाब का उपाय बन गयी हे ||
कोरोना ने जीबन शैली ही बदल डाली हे
अबसाद ग्रस्त हो इनसान जीबन जी रहा हे ||
भगवान के द्वार भी भक्त के लिए बंध हो रहे हैं
तनाव,

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कोरोना ने किया हैरान

समझ नहीं पा रहा इंसान, कोरोना ने किया हैरान।

दुनिया हो रही परेशान, कोविड 19 इसका नाम।

है तो इसके लक्षण आम, पर फैल रहा है दुनिया जहान।

घर में रहना एक बचाव, खान-पन भी घर में पकाओ।

मास्क पहनकर बाहर जाओ, हाथ धोने की आदत अपनाओ।

खुद भी स्वस्थ रहो और दूसरों को भी इससे बचाओ।

अफ़वाह नहीं जागरूकता फैलाओ।।

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कोरोना के कारण प्रवासी मजदूरों की त्रासदी

कोरोना के कारण प्रवासी मजदूरों की त्रासदी

आज मेरी खुद की रचित की हुई पंक्तियां ‘ मजदूर हूं मजबूर नहीं ‘
गलत लग रही है क्योंकि शायद आज प्रवासी मजदूर इतने ज्यादा मजबूर हो गए हैं कि उन्हें सब छोड़कर अपने राज पलायन करना पड़ रहा है तो चलिए आज हम बात करते हैं कोरोनावायरस की वजह से मजदूरों की त्रासदी पर ।
कोरोनावायरस की वजह से पूरा विश्व परेशान है इस अंजान वायरस से लड़ने के लिए पूरा विश्व ने कमर कस ली है।
सभी देश अपने अपने तरीके से लड़ने की कोशिश कर रहे हैं इस लड़ाई में हमारा भी देश सम्मिलित है ।
हमारे देश में 24 मार्च से लॉक डाउन शुरू हो गया था ,तब से लेकर आज तक मजदूर एक संघर्षरत जीवन जीने को मजबूर है ।
चुकि,

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कोरोना व नारी

कोरोना और नारी

कोरोनाकाल में पूरे देश में Lockdown है जारी,
मेरे जीवनकाल में कब तक रहेगा Lockdown पूछे ये नारी बेचारी?

घर पर रहना आज सबको बंधन सा लग रहा है,
ये बंधन तो नारी के जीवन में उम्रभर का है।

Social distancing के एक नियम का पालन तुम ना कर पाते हो,
नारी पर हजारों नियम- कायदे लगा कर उसे ज़ीने का ढ़ंग बतलाते हो।

Mask पहनने में जिसे हो रही दिक्कतें हजार,

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নোবেল করোনা (Nobel Corona)

ওহান থেকে যাত্রা শুরু,
নোবেল করোনা নাম।
RNA দিয়ে তৈরী আমি,
শক্তিতে মহান।
শ্বাস নালীতে সংক্রমণ,
আমার প্রাথমিক কর্ম জেনো।
অন্য সব লক্ষণেতে,
মৃদু জ্বর,শুষ্ক কাশি,গলা ব্যাথা,আর শ্বাস কষ্ট বলে মেনো।
ছড়াই আমি জালের মতো,
হাঁচি কিংবা কাশির সাথে,
সূক্ষ্ম সব অনুরূপে ,
আমার বীজ বাতাসে ভাসে।
এক থেকে দুই,দুই থেকে চার,
এভাবেই চলে আমার উৎপাত।
বিশ্ব জোড়া খ্যাতি আমার মারণব্যাধি রূপে।
চীন,

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The Perfect We

The met awkwardly through books,

two different ends of pole but as the science says”opposite attract”

They are like the light of street’s

moves along as the rider goes on

The reason each other

smiles more thinking of

their partners words

for their mutual timing of reacting “Haaye”

The medicine he became of her stress

who came as balloon filled with love

They meet as the waves grab

the sand to pull it underneath its force

They crave to feel the spring together

under the blanket with warm

of their presence together

They fight to care more

live with their mismatched thoughts

They make themselves

“The Perfect We”

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