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कोरोना

कोरूना एक महामारी है जिसमें हर किसी को बहुत ही सावधानी बरतने की जरूरत,  बहुत से लोग आज भी यह समझ नहीं पा रहे हैं कि हमें घर से बाहर नहीं निकलना है।

लोग आज भी शादियों में जा रहे हैं, पार्टी अटेंड कर रहे हैं, ऐसे लोगों को बहुत ही समझदारी दिखाने की जरूरत है। इस समय में घर से बाहर निकलना हमें कम से कम करना है और बहुत जरूरत पड़ने पर ही घर से बाहर जाना है।

आजकल कॉलर ट्यून में भी यह बात कितनी बार बताई जा रही है पर लोग हैं कि समझने को तैयार ही नहीं है।

इस महामारी के समय में हमें एक साथ मिलकर घरों में रहना है और साफ-सफाई का भी पूरा ध्यान रखना है।

उम्मीद है जो लोग ऐसा कर रहे हैं आज भी वह इस बात को समझने की कोशिश करेंगे और घर से बाहर जब भी जाएंगे तब बहुत ही आवश्यक काम होगा।

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कोरोना के कारण प्रवासी मजदूरों की त्रासदी

कोरोना के कारण प्रवासी मजदूरों की त्रासदी

आज मेरी खुद की रचित की हुई पंक्तियां ‘ मजदूर हूं मजबूर नहीं ‘
गलत लग रही है क्योंकि शायद आज प्रवासी मजदूर इतने ज्यादा मजबूर हो गए हैं कि उन्हें सब छोड़कर अपने राज पलायन करना पड़ रहा है तो चलिए आज हम बात करते हैं कोरोनावायरस की वजह से मजदूरों की त्रासदी पर ।
कोरोनावायरस की वजह से पूरा विश्व परेशान है इस अंजान वायरस से लड़ने के लिए पूरा विश्व ने कमर कस ली है।
सभी देश अपने अपने तरीके से लड़ने की कोशिश कर रहे हैं इस लड़ाई में हमारा भी देश सम्मिलित है ।
हमारे देश में 24 मार्च से लॉक डाउन शुरू हो गया था ,तब से लेकर आज तक मजदूर एक संघर्षरत जीवन जीने को मजबूर है ।
चुकि,

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कोरोना व नारी

कोरोना और नारी

कोरोनाकाल में पूरे देश में Lockdown है जारी,
मेरे जीवनकाल में कब तक रहेगा Lockdown पूछे ये नारी बेचारी?

घर पर रहना आज सबको बंधन सा लग रहा है,
ये बंधन तो नारी के जीवन में उम्रभर का है।

Social distancing के एक नियम का पालन तुम ना कर पाते हो,
नारी पर हजारों नियम- कायदे लगा कर उसे ज़ीने का ढ़ंग बतलाते हो।

Mask पहनने में जिसे हो रही दिक्कतें हजार,

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নোবেল করোনা (Nobel Corona)

ওহান থেকে যাত্রা শুরু,
নোবেল করোনা নাম।
RNA দিয়ে তৈরী আমি,
শক্তিতে মহান।
শ্বাস নালীতে সংক্রমণ,
আমার প্রাথমিক কর্ম জেনো।
অন্য সব লক্ষণেতে,
মৃদু জ্বর,শুষ্ক কাশি,গলা ব্যাথা,আর শ্বাস কষ্ট বলে মেনো।
ছড়াই আমি জালের মতো,
হাঁচি কিংবা কাশির সাথে,
সূক্ষ্ম সব অনুরূপে ,
আমার বীজ বাতাসে ভাসে।
এক থেকে দুই,দুই থেকে চার,
এভাবেই চলে আমার উৎপাত।
বিশ্ব জোড়া খ্যাতি আমার মারণব্যাধি রূপে।
চীন,

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Uncertainty

I finished my daily work and was heading back home hurriedly with crisp notes of 5 hundred’s in my soiled hands.

My area smells of dry fish and chicken. My house is made of 4 cement walls and a patraa with holes. The diwaal putty was almost falling off and made a wonderful abstract design with shredded paint. The small cracks on the floor are perfect fissures for the ants.

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Wish : lockdown poem

The world doesn’t know

when it will wake up again.

Every new morning is bringing a destruction of new light.

Real mask of mankind is now highlighted.

Some are striving to live by wearing a smile,
Whereas others are taking fun.

Can’t feel the fresh air,
As it felt earlier.

What will happen to this earth is unknown.

Just wishing for one thing,

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