Sorry, nothing in cart.
- By जुझार सिंह
- |
- Poetry
- |
- 787 Views
- |
- 10 Comments
कभी बरसात के मौसम में
कभी पतझड़ के मौसम में
उसी की याद आती है
हर लम्हा के मौसम में
वो इस कदर मुरत है मोहब्बत की
छा जाती है फूलो में बंसत के मौसम सी
मुझे इंतजार था ग्रीष्म में
पानी बनके मिलने आओगी
वर्षा का है इंतजार
नवनिर्माण कराओगी
मुझे जीना है तेरे साथ
तु साथ दे देना
करेगे प्यार ऐसा
तु कल दे देना