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- By जुझार सिंह
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- Poetry
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कभी बरसात के मौसम में
कभी पतझड़ के मौसम में
उसी की याद आती है
हर लम्हा के मौसम में
वो इस कदर मुरत है मोहब्बत की
छा जाती है फूलो में बंसत के मौसम सी
मुझे इंतजार था ग्रीष्म में
पानी बनके मिलने आओगी
वर्षा का है इंतजार
नवनिर्माण कराओगी
मुझे जीना है तेरे साथ
तु साथ दे देना
करेगे प्यार ऐसा
तु कल दे देना