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बारिश

मौसम ए साजिश का है,
ये मौसम बारिश का है,
किसी को इंतज़ार रहता है,
बारिश में भीगने का,
एहसास,अच्छा होता है।
हवाओं में वो सुकून होता है,
ये मुहब्बत का सुरूर होता है।
दिल ये मगरूर होता है,
आशिकों का नूर होता है,
ख्वाबों का जुनून होता है।
जब मौसम बारिश का होता है.
मन में बहार होता है,
खेत में अनाज होता है,

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स्तब्ध है हृदय
स्तब्ध है हृदय.. कुछ शूल चुभ रहें हैं.. कुछ तो हुआ है.. ये प्रश्न उठ रहे हैं… हाँ श्वेत वस्त्रधारियों पे.. कुछ दाग दिख रहे हैं.. कुछ तो किया है जो प्रश्न उठ रहे हैं..                         (1) स्तब्ध है हृदय.. कुछ प्रलाप सुन रहे हैं.. चहुँओर आज लोग इक विलाप कर रहे हैं.. हाँ कुछ तो हुआ है.. ये प्रश्न उठ रहे हैं.. बेईमानी के बाज़ार में.. फ़िर ईमान बिक रहे हैं.. तो कुछ तो हुआ है जो ये प्रश्न उठ रहे हैं..                        
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अहसास

1.उमड़ते बादल

बरसती बूंदें

और चलती हवाएं

तेरे होने की खूशबू का

अहसास करा जाती है

2.यूं तो हजारों शिकायतें हैं तुझसे

पर तेरा पर भर मुस्कुरा कर देखना

सब दूर कर देता है

3.बारिश की बूंदों सा है

प्यार मेरा

धरती में समा जाने पर भी

अपनी सौंधी खुशबू छोड़ जायेगा

4.तेरे अहसास के

झूलों तले

चलती है

सांसे मेरी

कभी फुर्सत मिले तो

सुनना धड़कनों में नाम तेरा

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ताज़ा बारिश

 

घर के अन्दर वैसे तो सबकुछ घरेलू ही होता है। फिर भी तरह-तरह के घर में दो-तीन तरह के माहौल हो जाते हैं… घरेलू, नॉन-घरेलू और कुछ घरेलू होते हुए भी बड़े नॉन-घरेलू। संजू और हेमा की शादी हुए अभी मुश्किल से छः महीने का वक़्त गुज़रा था। तो उनके बीच जो भी होता, घरेलू होते हुए भी बड़ा नॉन-घरेलू जैसा हो जाना बिल्कुल स्वाभाविक ही था।

अभी पिछली शाम ताज़ा-ताज़ा गिरी बारिश से तापमान एकाएक नीचे लुढ़क आया था। नये जोड़ों के लिए तो ये वक़्त ही था कि अपनी एक-दूसरे के सामने दिल खोलकर रख दें। मौका पाते ही संजू ने आखिर हेमा को छेड़ ही दिया-
“ठंड नहीं लगती क्या?”

संजू की आँखों में देखते ही हेमा के चेहरे पर शरारती हंसी खेल पड़ी। वो सब साफ-साफ समझ रही थी। जगह-जगह पर साड़ी के झीने ढकाव से बच-बच कर बदन के जो कुछेक हिस्से बीच से झाँक रहे थे,

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