Sorry, nothing in cart.
- By Mishra
- |
- Poetry
- |
- 814 Views
- |
- 4 Comments
उम्मीदों से भरा एक और साल मुबारक ,
आंखों को तुम्हारे ख्वाबों का जाल मुबारक।
तुम्हारे होंठों को तबस्सुम मुबारक,
अल्फ़ाज़ों को तरन्नुम मुबारक,
ये जो तेरी हथेली नरम दूब जैसी है,
इस दूब को मेरी दुआओं की ओस मुबारक ।
काश होता तुम्हारे आँखों के सामने,
मुझे भी होती तेरे काजल की दीद मुबारक,
चूम लेता तेरे होंठों को और जब पुछती वजह,