Sorry, nothing in cart.
- By Ashish Anand Arya "Ichchhit"
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- Short Story
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शोभना को मायके गये हुए पूरे छः दिन गुजर चुके हैं! हर दिन ऐसे सुकून से गुजरा, एक बार को भी ऐसा कुछ न हुआ, जो मन की मर्जी का न रहा हो! न शोभना के दिन भर टोकने वाले टोटके, न ही विप्लव की बार-बार की फर्माईशें। किसी के लिए कुछ नहीं लेकर नहीं आना, बाजार नहीं जाना, मोल-भाव, खरीददारी कुछ नहीं, किसी के लिए कुछ नहीं करना। न जूते घर के बाहर उतारकर अन्दर आने की चकल्लस,