Posts tagged “Hindi” (Page 28)

!! मुसीबत को बुलावा !!

शोभना को मायके गये हुए पूरे छः दिन गुजर चुके हैं! हर दिन ऐसे सुकून से गुजरा, एक बार को भी ऐसा कुछ न हुआ, जो मन की मर्जी का न रहा हो! न शोभना के दिन भर टोकने वाले टोटके, न ही विप्लव की बार-बार की फर्माईशें। किसी के लिए कुछ नहीं लेकर नहीं आना, बाजार नहीं जाना, मोल-भाव, खरीददारी कुछ नहीं, किसी के लिए कुछ नहीं करना। न जूते घर के बाहर उतारकर अन्दर आने की चकल्लस,

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!! गज़ब धुन दोस्ती की…!!
  • By Ashish Anand Arya "Ichchhit"
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दुनिया की कलाबाजियों से जख्मी
जिंदगी में रोज नए खयालात होते हैं…
दिल के झरोखे भीतर से यूँ देते मात
यादों के बड़े ही गहरे हालात होते हैं…!

बचपन की अल्हड़ दौड़ मन गुनगुनाये
दोस्त दिमाग में फिर से साथ होते हैं…
दिल के मकानों में रौनक बड़ी अजब
किस्से दोस्ती के बड़ी करामात होते हैं…!

हर गुजरे कल में जी जाने की ख्वाहिश
मस्ती के पल सारे क्या कायनात होते हैं…

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!! कोई भी तो नहीं आता !!

ये विकास के विलायती काज भी क्या अंदाज़ के होते हैं। घरेलू आँगनों में इनकी महक की अजीब दहक आज बड़े खुलेआम बिखरी है । सभ्यता और संस्कारों के बागीचे में हमारे देश के भीतर घर-घर में अच्छे भले भरे-पूरे परिवार हुआ करते थे। पर अब तो बस परिवार की बातें होती हैं। वो भी बड़े मिजाज से।

भोर के आरंभकाल से ही श्रीमती जी ने लांछन लगाने शुरू कर दिये। एकाएक तीक्ष्ण-स्वर कानों पर गिरे थे:-
“तुम्हारे घर से तो मिस-कॉल ही आती है। यहाँ आयेंगे,

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!! साइकिल : एक खोज !!
  • By Ashish Anand Arya "Ichchhit"
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ये साइकिल, आज भी पूरी मौज़ में चलती है,
हाँ, न जाने, किस खोज में चलती है?
न किसी रफ़्तार से मतलब
न तेल-पानी-पेट्रोल का पालती झंझट
हर जाम के बीच से
सुकून के तराने गुनगुनाते
लोगों की नज़रों के देखते रंग तमाम
बड़े ईत्मीनान से गुजरती है!

ये साइकिल ही तो है, जो
खुद पर सवार बेटे को घुमाने निकले
पिता को शौर्य के पल देती,

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