क्या भूलूँ क्या याद करूँ भाग 1 ( Kya bhulu kya yad karu Part – 1 Bachchan Autobiography )

Quick Overview

आत्मकथा खण्ड उनकी पूरी योजना का एक तिहाई भाग है । – होने वाले बचपन और युवावस्था के संस्कारों के साथ-साथ पूर्वजन्म के संस्कारों के बल पर आत्मतत्व का भी यथेष्ट संकेत अनेक स्थलों पर दिया है । 1 महत्व पर विस्तृत चर्चा करते हुए अपने अमोढ़ा वंश की सात – पीढ़ियों की कथा विस्तार से लिखी है ।

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Product Description

ख्यात लोकप्रिय कवि हरिवंशराय बच्चन की बहुप्रशंसित आत्मकथा हिन्दी साहित्य की एक कालजयी कृति है। यह चार खण्डों में है: “क्या भूलूँ क्या याद करूँ”, “नीड़ का निर्माण फिर”, “बसेरे से दूर” और “‘दशद्वार’ से ‘सोपान’ तक”। यह एक सशक्त महागाथा है, जो उनके जीवन और कविता की अन्तर्धारा का वृत्तान्त ही नहीं कहती बल्कि छायावादी युग के बाद के साहित्यिक परिदृश्य का विवेचन भी प्रस्तुत करती है। निस्सन्देह, यह आत्मकथा हिन्दी साहित्य के सफ़र का मील-पत्थर है। बच्चनजी को इसके लिए भारतीय साहित्य के सर्वोच्च पुरस्कार -‘सरस्वती सम्मान’ से सम्मानित भी किया जा चुका है।

Additional information

Weight 0.437 kg
Dimensions 23 × 15 × 2 cm
Author

Harivansh Rai Bachchan

Condition

Good, Preowned

Language

Hindi

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